Pakistan First PM Liaquat Ali Khan assassination mystery – जब भारत का वित्त मंत्री बना पाकिस्तान का पहला पीएम और फिर कर दी गई थी हत्या, पढ़िए पूरा किस्सा
पाकिस्तान में राजनीति हमेशा से ही अस्थिरताओं से भरी रही है। पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि भारत से अलग होने के बाद से अब तक उसके एक भी प्रधानमंत्री ने अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा नहीं किया है। हालिया उदाहरण देखें तो इमरान खान का नाम सबसे नया है। इन प्रधानमंत्रियों में कई ऐसे भी थे, जिन्हें राजनीति के चलते अपनी जान भी गंवानी पड़ी। इन्हीं में से एक नाम लियाकत अली खान का था।
इतिहास पर नजर घुमाकर देखे तो अविभाजित भारत में जब जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी तो वह पहले पीएम बने। इसी सरकार में लियाकत अली खान भारत के वित्त मंत्री बने थे। हालांकि जब भारत का बंटवारा हुआ तो मुस्लिम लीग के नेता रहे लियाकत अली खान पकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, उनकी कुर्सी हमेशा डगमगाती ही रही, क्योंकि कुछ लोग चाहते थे कि वह पद पर न रहें। कुछ दिनों में जिन्ना का भी उनसे मोहभंग हो गया।
लियाकत अली खान की कुर्सी डांवाडोल कई बार हुई थी, लेकिन जिन्ना के रहते उन तक आंच नहीं पहुंची। हालांकि, 1948 में जिन्ना की मौत के बाद लियाकत अली खान को 1951 में पता चला कि एक बार उनके खिलाफ तख्तापलट की तैयारी भी हुई थी। इसमें सेना के बड़े अधिकारियों के अलावा दर्जन भर अन्य सैन्य अधिकारी भी शामिल थे। इतने बुरे हालातों के बाद भी लियाकत अली खान पीएम की कुर्सी पर बने हुए थे।
उधर भारत से अपनी पहली जंग में मुंह की खाने के बाद वह नेहरू के साथ समझौता भी कर चुके थे। इस सब बातों से सोशलिस्ट व कम्युनिस्ट गुटों में उनकी छवि एक कमजोर प्रधानमंत्री की बन गई थी। करीब चार सालों तक सभी उतार-चढ़ाव के बाद लियाकत अली खान 16 अक्टूबर, 1951 को कंपनी गार्डन में लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें संबोधित करने वाले थे। वह माइक के सामने खड़े ही हुए कि गोली की आवाज मैदान में गूंजी।
लियाकत अली खान मंच पर ही गिर पड़े, इसके बाद उन्हें तुरंत सेना के अस्पताल ले जाया गया, ऑपरेशन हुआ लेकिन कुछ घंटों बाद पता चला कि लियाकत अली खान अब नहीं रहे। इस गोलीकांड के बारे में कहा जाता है कि गोली, लियाकत अली खान की ओर सईद अकबर नाम के शख्स की तरफ से चली थी, जिसे एक पुलिसवाले ने वहीं ढेर कर दिया गया था। हालांकि, इस हत्या के जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि गोली अकबर ने ही चलाई थी।
Reference-www.jansatta.com